ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
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शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म Shiv chaisa के पाप नसावे ।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
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